ब्यूरो चीफ : अमर नाथ साहू

वाराणसी: कश्मीरी पंडितों का आनुवांशिक संबंध सरयूपारीण ब्राह्मणों से है। इनके डीएनए का मूल यूपी और बिहार में है। आज से करीब 35 हजार साल पहले उन्होंने कश्मीर घाटी की ओर रुख किया था। अभी तक इन लोगों को ईस्ट यूरेशिया में तिब्बत और लद्दाखी आबादी के साथ जोड़कर देखा जाता था, लेकिन वैज्ञानिक अध्ययनों में साबित हो गया कि वहां के जीन का कोई साक्ष्य नहीं मिला। कश्मीरी पंडितों को लेकर ये खुलासा बीएचयू के वैदिक विज्ञान केंद्र में जीन वैज्ञानिक प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने किया। यहां कश्मीर: अतीत, वर्तमान और भविष्य विषय पर सेमिनार आयोजित हुआ।

उन्होंने कहा कि इस संबंध में एक रिसर्च पेपर स्प्रिंजर नेचर में प्रकाशित हो चुका है, वहीं दूसरा रिसर्च भी अंडर प्रॉसेस है। 85 कश्मीरी पंडितों के 6 लाख 50 हजार मार्कर्स के डेटा पर अध्ययन किया गया। इस डेटा का ईस्ट यूरेशिया और भारत के अलग-अलग क्षेत्रों के 1800 अन्य लोगों के साथ तुलना कर इस निष्कर्ष पर पहुंचा गया।
डीएनए के आधार पर अध्ययन किया गया है। इसमें पता चला है कि इनके डीएनए का एक बड़ा घटक सिंधु घाटी सभ्यता का है। जो कि आठ हजार साल पहले का है। इसमें देखा गया कि उनका उत्तर भारतीय ब्राह्मणों के साथ बहुत नजदीकी आनुवांशिक संबंध है।।।