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रसड़ा में भ्रष्ट अफसरों द्वारा योगी सरकार के आँखों में झोंका जा रहा है धूल, धड़ल्ले से संचालित हैं अवैध बूचड़खानें, प्रतिबंधित जानवरों का कटान है जारी

ब्यूरो रिपोर्ट : रवि प्रताप आर्य

बलिया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शपथ ग्रहण करने के साथ ही अपने पहले कार्यकाल से ही प्रदेश में अवैध ढंग से चल रहे बूचड़खानों को बंद करने का आदेश दिया था। सीएम योगी के आदेश को पूरे प्रदेश में प्रभावी तरीके से लागू भी किया गया लेकिन प्रदेश का एक ऐसा शहर है जहां सीएम योगी के आदेश की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। जी हां यहां बात हो रही है, बलिया जनपद के रसड़ा कस्बे की.
रसड़ा में प्रशासन की कार्रवाई के बावजूद न तो बूचड़खानों का अवैध संचालन रुका न ही नगर पालिका और पुलिस की ओर से शासन की आंखों में धूल झोंकने की कोशिशें बंद हुईं।दावा किया जा रहा है कि शहर में कहीं एक भी बूचड़खाना नहीं चल रहा है जबकि जानकारों की मानें तो नगर पालिका और पुलिस के गठजोड़ की शह पर धंधा अब भी चालू है।रसड़ा नगर में अवैध बूचड़खाने धड़ल्ले से चल रहे हैं।

इसे रोकने के लिए नगर पालिका व प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है । शहर के वार्ड नं. 22 व उससे सटे आस-पास के मुहल्लों के कई घरों में रोजाना दुधारू पशुओं का खुल्लम-खुल्ला वध किया जा रहा है परंतु पुलिस -प्रशासन व पालिका इस प्रकरण पर चुप्पी साधे हुए हैं। बता दें कि क्षेत्र के लोगों में हमेशा संक्रमण से किसी न किसी गंभीर बीमारी के फैलने का भय बना रहता है। गंदगी व दुर्गध से लोगों का जीना दुश्वार हो गया है।रिहायशी व सभ्य समाज में अवैध बूचड़खानों का संचालन कैसे हो सकता है। यह सबसे बड़ा प्रश्न है? लोगों का कहना है कि पुलिस – प्रशासन इस संवदेनशील व गंभीर मामले से किनारा नहीं कर सकती जवाबदेही तो तय करनी ही पड़ेगी। बुद्धिजीवी वर्ग का कहना है कि प्रशासनिक उदासीनता व पशु तस्करों का ऊपर तक पहुंच इस मामले को ठंडे बस्ते में डालने का कार्य कर रहा है।

अवैध बूचड़खानों में प्रतिबंधित पशुओं का कटान है जारी

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद स्लाटर हाउसों की उल्टी गिनती शुरू हुई थी लेकिन, लगभग सात वर्षों के बाद भी रसड़ा की जनता को अवैध बूचड़खानों से निजात नहीं मिल पाई है। कस्बे में घनी आबादी के बीच अवैध बूचड़ खानों में मानकों को ठेंगे पर रखकर संबंधित विभाग की सांठगांठ के चलते प्रतिबंधित पशुओं (भैंस, पड़वा व अन्य) का अवैध कटान किया जा रहा है। प्रतिबंध के बावजूद बच्चा व दुधारू पशुओं का कटान भी धड़ल्ले से चल रहा है। वही, अवैध बूचड़ खानों से उठने वाली दुर्गंध से प्रदूषण का ग्राफ दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। इससे आबोहवा के जहरीले होने के कारण सांसों पर संकट खड़ा हो गया है। इन सबके बावजूद प्रशासन व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आश्चर्यजनक चुप्पी साध रखी है। जो क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।

न्यूज़ हैक 24 का दावा, धड़ल्ले से रसड़ा में संचालित है अवैध बूचड़खानें, अगर पुलिस -प्रशासन नहीं करती है कोई कार्यवाही तो अगली ख़बर में खुल जाएगी सबकी कलई

रसड़ा। कहते हैं कानून के हाथ लम्बे होते हैं तो फिर रसड़ा थाने से महज एक किलोमीटर की दूरी पर संचालित अवैध बूचड़खानों तक कानून के लम्बे हाथ क्यों नहीं पहुंच पा रहे हैं? यह अटूट सत्य है कि सम्बंधित विभागों की मिली भगत से रसड़ा में धड़ल्ले से अवैध बूचड़खानें संचालित हैं। भ्र्ष्ट अफसरों के चलते रसड़ा में योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति विफल दिखाई दे रही है। अगर ससमय स्थानीय पुलिस- प्रशासन,पालिका अवैध बूचड़खानों पर कड़ी कार्यवाही नहीं करती है तो अगली ख़बर में कई सज्जनों के चेहरों से नकाब उतर जाएगा।

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