रिपोर्ट : रवि प्रताप आर्य
बलिया। अयोध्या शोध संस्थान द्वारा पुरस्कृत रसड़ा की सुप्रसिद्ध रामलीला के दूसरे दिन गुरूवार की सायं गांधी पार्क स्थित सरोवर में प्रभु श्रीराम-केवट संवाद, श्रीराम के गंगा पार जाने का जीवंत अभिनय से कलाकरों ने सभी को भाव विह्वल कर दिया। नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों से आए हजारों नर-नारी अपलक इस आकर्षक दृश्य को निहारते रहे। श्रीराम जब गंगा तट पर पहुंचते हैं और केवट से पार उतारने का आग्रह करते हैं तो केवट कहता है मांगी नाव न केवट आना, कहही तुम्हार मरम मै जाना। अर्थात हे प्रभु! मेरी नाव ही मेरे परिवार की जीविका का एक मात्र साधन है। सुना है कि आपके चरणों कीं धूल से पत्थर बनी अहिल्या नारी बन गई। अगर ऐसा हो गया तो मेरा परिवार तो भूखे ही मर जायगा।
इस लिए आपके चरणों को धोए बिना आपको गंगा पार नहीं पहुंचा सकता। केवट के काफी अनुनय-विनय के बाद श्रीराम अपने पैर धुलाने के लिए तैयार हुए। पैर के धोने के बाद केवट ने श्रीराम, जानकी व लक्ष्ण को गंगा के पार पहुंचाया। इस मार्मिक अभिनय को देख वहां उपस्थित हजारों लोग भाव-विह्वल हो उठे।