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रसड़ा की ऐतिहासिक रामलीला में माता सीता का हुआ हरण, जटायु ने गवाए प्राण

रिपोर्ट : रवि प्रताप आर्य

बलिया : रसड़ा रामलीला के सातवें दिन मंगलवार को सीताहरण प्रसंग व जटायु मुक्ति प्रसंग का जीवंत अभिनय कलाकारों द्वारा किया गया। जिसे देखने के लिए हजारों की संख्या में नर-नारी अंतिम क्षणों तक रामलीला परिसर में मौजूद रहे। रावण ने अपनी बहन के नाक-कान काटने का बदला लेने के लिए सीता का हरण करने का उपाय मामा मारिच से मिलकर रच दिया। प्रभु श्रीराम, माता सीता व लक्ष्मण अपनी कुटिया के पास विचरण कर रहे थे कि उसी समय मामा मारिच स्वर्ण मृग का वेश धारण कर सीता के आस-पास टहलने लगा। स्वर्ण मोह में फंस सीता ने प्रभु श्रीराम को स्वर्ण मृग पाने की जीद करने लगी। इस बीच श्रीराम ने मृग का काफी दूर तक पीछा किया और वाण से मार दिया।

मृग बना मामा मारिच घायल होने के बाद हाय लक्ष्मण, हाय लक्ष्मण की आवाज कहकर पुकारने लगा। जब यह आवाज सीता के कानों में गई तो किसी अनहोनी की आशंका के मद्देनजर उन्होंने लक्ष्मण को श्रीराम के पास जाने को कहा। इस बीच लक्ष्मण ने जाते समय एक रेखा खींच कर चले गए। आगे चलकर यही रेखा लक्ष्मण रेखा के नाम से प्रसिद्ध हुई। इस बीच रावण मौका पाते ही माता सीता से भीक्षा मांगने पहुंच गया और लक्ष्मण रेखा से बाहर निकलते ही उनका हरण कर लिया। इस बीच उनको बचाने के लिए पक्षी राज जटायु ने रावण पर अपनी चोंच से काफी प्रहार किया किंतु रावण ने अपनी तलवार से गंभीर रूप से घायल कर दिया। इस बीच जब श्रीराम व लक्ष्मण कुटिया पहुंचे तो सीता को न पाकर परेशान हो गए तथा उनकी तलाश में जूट गए।

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