लेखक : अवधेश तिवारी (अधिवक्ता)
जिला एवं सत्र न्यायालय बलिया
बलिया। भारतवर्ष का संविधान पूरी दुनिया में लोकप्रिय व सर्वश्रेष्ठ है। 26 नवंबर 1949 के दिन देश की संविधान सभा ने संविधान को अपनाया था। यही वह दिन है जब संविधान बनकर तैयार हुआ था। संविधान दिन का मकसद देश के नागरिकों में संवैधानिक मूल्यों के प्रति सम्मान की भावना को बढ़ाना है। यह संविधान ही है जो अलग-अलग धर्मों व जातियों की भारत की 140 करोड़ की आबादी को एक देश की तरह जोड़ता है। इसी संविधान के तहत हमारे देश के सभी कानून बनते हैं। इस संविधान के तहत सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट समेत देश की सभी अदालतें, संसद, राज्यों के विधानमंडल, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री समेत सभी इसी के तहत काम करते हैं और इसी के तहत हम सभी को अधिकार भी मिलते हैं कि हम सब पूरी स्वतंत्रता व समानता के साथ जीवन जी सके। हर भारतीय नागरिक के लिए 26 नवंबर संविधान दिवस बेहद गर्व का दिन है। कोई भी देश बिना संविधान का नहीं चल सकता। यह संविधान ही है जो अलग-अलग धर्मों व जातियों की भारत की 140 करोड़ की आबादी को एक देश की तरह जोड़ता है। संविधान में ही देश के सिद्धांत और उसको चलाने के तौर तरीके होते हैं।
यह संविधान ही है जो हमें एक आजाद देश का आजाद नागरिक की भावना का एहसास कराता है। जहां संविधान के दिए मौलिक अधिकार हमारी ढाल बनकर हमें हमारा हक दिलाते हैं, वहीं इसमें दिए मौलिक कर्तव्य हमें हमारी जिम्मेदारियां भी याद दिलाते हैं। यह भी जानना जरूरी है कि 26 नवंबर का दिन देश में राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। हमारा देश जब 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ, तब हमारे पास अपना कोई संविधान नहीं था। संविधान के बगैर देश नहीं चलाया जा सकता था इसलिए इसको बनाने के लिए एक संविधान सभा का गठन किया गया। जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर, सरदार वल्लभभाई पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे। संविधान की ड्राफ्टिंग समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर थे इसलिए उन्हें संविधान निर्माता भी कहा जाता है।
यह 26 नवंबर, 1949 को पूरा हुआ और इसे अपनाया गया। इसके बाद 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू हुआ। संविधान के पहले का भारत कुछ और था, संविधान के बाद का भारत एक नया भारत बना। बाबा साहब डॉ आंबेडकर ने चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर संविधान को लागू करने वाले लोग ठीक न हुए, तो यह केवल कागजों का पुलिंदा मात्र रह जाएगा और उनकी दूसरी चेतावनी थी कि अगर हमने सामाजिक और आर्थिक गैर-बराबरी दूर न की, तो इस राजनीतिक बराबरी आधारहीन साबित होगी। बाबा साहब की चेतावनी आज भी हमसे एक उम्मीद रखती है कि हम मुल्क के आइने को भी बचाएं और उसे कायदे से जमीन पर उतारने के लिए संकल्प लें। इस संविधान दिवस पर हमें जीवन भर अपने मौलिक कर्तव्यों और देश का कानून का पालन करने का प्रण लेना चाहिए। देश का अच्छा और जिम्मेदार नागरिक बनने से न सिर्फ संविधान का मकसद पूरा होगा बल्कि संविधान निर्माताओं के सपनों के राष्ट्र का निर्माण होगा।