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गीता भारतीय मनीषा के सरोवर में खिला हुआ नील कमल है, जिसकी आभा शताब्दियां बीत जाने के बाद भी यथावत है : प्रमोद कुमार सिंह

कोलंबस इंटरनेशनल स्कूल में प्रबंधक पी के सिंह ने बच्चों में वितरित किए भगवत गीता

रिपोर्ट : रवि प्रताप आर्य

बलिया। नगरा सिसवार स्थित कोलंबस इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित पीटीएम ( पेरेंट्स टीचर मीटिंग) के दौरान मासिक टेस्ट व विषय कोर्स के अन्य परीक्षण में बेहतर अंक व प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को स्कूल प्रबंधक प्रमोद सिंह ने भगवत गीता देकर उनका उत्साह वर्धन किया। प्रबंधक प्रमोद कुमार सिंह ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ धार्मिक ज्ञान होना चाहिए। हमारे वेद – पुराण आज भी संसार का नेतृत्व करते हैं। इन्हीं वेद -पुराण व ग्रथों पर आज का विज्ञान टिका है। श्रीमद् भगवत गीता का सार बताते हुए श्री सिंह ने कहा कि जीवन में कभी भी निराशा छाए, आलस्य आए तो एकांत में विशुद्ध मन से गीता पढ़िए। गीता को अध्ययन करने से आप में स्वत : एक ऊर्जा जागृत होगी। जो हर बधाओं – समस्याओं से लड़ने के लिए आपको तैयार करेगी। एमडी प्रमोद सिंह ने कहा कि कोई भी चीज अपने एक नियत समय के बाद अपनी प्रासंगिकता खो देती है या उसके स्वरुप में बदलाव आ जाता है।

भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं ही कहा है- ‘परिवर्तन संसार का नियम है।’ लेकिन श्रीकृष्ण जी की शिक्षाएं श्रीकृष्ण जी का जीवन और श्रीकृष्ण जी की गीता आज भी हमारे लिए उतनी ही प्रासंगिक है।यह महान कृति भारतीय संस्कृति की आत्मा है। यह सात सौ श्लोकों का अमर ग्रन्थ अपने आप में प्रासंगिकता आज भी बनाए हुए है, जो जीवन को समग्रता में जीने के लिए दिशानिर्देश ही नहीं तथ्यात्मक रूप से जीवन को जीवंतता के साथ जीने की कला सिखाती है। गीता भारतीय मनीषा के सरोवर में खिला हुआ नील कमल है, जिसकी आभा शताब्दियां बीत जाने के बाद भी यथावत है। गीता ब्रह्माणीय संविधान है, जिसके अंदर संपूर्ण ब्रह्माण्ड संचालित है। गीता एक इष्ट, एक मंत्र, एक राष्ट्र के सिद्धांत को प्रतिपादित करती है। गीता के बारे में कुछ भी कहना सूर्य को दीपक दिखाने के समान है। गीता की व्याख्या करते हुए जहां शब्द भी छोटे हो जाते हैं। ऐसे महान ग्रंथ को भगवान श्रीकृष्ण ने भारतीय धरा पर उद्बोधित कर भारतीय भूमि को धन्य कर दिया।

भारतीय मनीषा एवं आने वाली पीढ़ियां गीता से प्रेरणा लेकर के जन्म मरण के चक्र से मुक्ति पाकर अपने परम लक्ष्य को प्राप्त करेगी और भारतीय मनीषा और जनमानस गीता का सदा चिर ऋणी रहेगा श्रीमद्भगवद् गीता सफलता के द्वार की कुंजी है न सिर्फ विद्वानों ने, बल्कि विश्व के अनेक सफल लोगों ने श्रीमद्भगवद्गीता के महत्व को समझा है और उससे प्रेरणा भी ग्रहण की है। स्वामी विवेकानंद ने गीता को अपने जीवन व्यवहार में उतारा था और आज तमाम ऐसे लोग हैं जो कि श्रीमद् गीता को प्रेरणादायी ग्रंथ मानते हैं।

श्रीमद् गीता जीवन के रहस्यों को सुलझाती है। इसमें सारे वेदों, पुराणों और उपनिषदों के सार का संग्रह है, लेकिन इसकी भाषा-शैली इतनी सरल और जीवन से जुडी है कि इसके उपदेशों को कोई भी ग्रहण कर सकता है। गीता सभी शास्त्रों का निचोड़ है। व्यस्तता और आधुनिकता के इस दौर में गीता जरूरी है। पीके सिंह ने कहा कि गीता का ध्यान के साथ श्रवण और पठन-पाठन करें तथा इसकी प्रत्येक पंक्ति का मनन भी करना चाहिए। जीवन के रहस्यों को सुलझाने में गीता के अध्ययनकर्ता को अन्य शास्त्रों के संग्रह की कोई आवश्यकता नहीं है। श्रीकृष्ण के मुखारविंद से निकली गीता में संसार की सभी समस्याओं का समाधान निहित है।इस दौरान वॉइस प्रिंसिपल आरपी पांडे व एडमिन प्रियंका के साथ स्कूल के सभी अध्यापक अध्यापिकाएं उपस्थित रहें।

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