ब्यूरो रिपोर्ट : रवि प्रताप आर्य

बलिया। बैरिया में कृति सोशल वेलफेयर फाउंडेशन (Non-Governmental आर्गेनाइजेशन – गैर सरकारी संगठन) के द्वारा आयोजित बाल स्तरीय कला प्रतियोगिता 2025 के परिणाम घोषित होने के बाद मेधावियों को पुरस्कृत कर उनका हौसला अफजाई किया गया। एनजीओ के द्वारा आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह के मुख्य अतिथि क्षेत्राधिकारी बैरिया मु. फहीम कुरैशी ने प्रतियोगिता के सफल छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत कर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। पुरस्कृत होने वालों में प्रथम स्थान पर नीलू वर्मा कक्षा छठवीं की छात्रा, द्वितीय स्थान पर आशीष वर्मा चौथी कक्षा का छात्र एवं तृतीय स्थान पर रिया यादव क्लास यूकेजी की छात्रा रही। सीओ बैरिया मु. फहीम ने इसके अलावा भी 10 बच्चों को मेडल पुरस्कार से सम्मानित किया।

पर्यावरण, राष्ट्रीय चिन्ह व जंगली जानवर प्रतियोगिता के मुख्य बिंदु रहे। उक्त बिंदुओं पर बच्चों को संबोधित करते हुए सीओ बैरिया मु. फहीम कुरैशी ने कहा कि वो सारी चीजें जो हमारे चारों ओर हैं पर्यावरण कहलाता है जैसे हवा, पानी, आकाश, जमीन, जीव जन्तु, वनस्पति, पेड़ पौधे आदि। पर्यावरण, प्रकृति द्वारा भेंट किया गया एक तोहफा है। हम सबको स्वस्थ रूप से जीने के लिए जिन चीजों की जरुरत पड़ती है वो पर्यावरण हमे देता है। लेकिन मानवों ने अपने लालच को पूरा करने के लिए पर्यावरण को इतना दूषित कर दिया है कि आज धरती पर सारे जीव जन्तु भुगत रहे हैं।

बढ़ती जनसंख्या के डिमांड्स को पूरा करने के लिए, घर और कारखाने बनाने के लिए लोगों ने जंगल के जंगल काट दिए और नए पेड़ भी नहीं लगाए। कारखानों व फैक्ट्री से निकलने वाले कूड़े कचरे, प्लास्टिक और गंदे पानी ने हवा, पानी और मिट्टी को दूषित कर दिया है। जिससे लोग बीमार पड़ रहे है, मर रहे हैं, जीव जन्तु विलुप्त हो रहे हैं, गर्मी में तापमान चरम सीमा पर पहुंच गया है, ठंडी में ज्यादा ठंडी पड़ती है, बरसात में समय पर बारिश नहीं होती इसलिए सूखा पड़ रहा है लोग खेती नहीं कर पा रहे है, असमय जलवायु परिवर्तन हो रहा है, ओज़ोन लेयर भी प्रभावित हो चुका है।

हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि हम सभी एक मत होकर पर्यावरण की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दें ताकि धरती पर सभी जीव जंतु प्रसन्नचित रह सके। जनाब फहीम ने आगे कहा कि जंगली जीव हर उस वृक्ष, पौधे, जानवर और अन्य जीव को कहते हैं जिसे मानवों द्वारा पालतू न बनाया गया हो। जंगली जीव दुनिया के सभी परितंत्रों (ईकोसिस्टम) में पाए जाते हैं, जिनमें रेगिस्तान, वन, घासभूमि, मैदान, पर्वत और शहरी क्षेत्र सभी शामिल हैं।वन्य जीव जंगली जीवों की वह श्रेणी है जो मानव बसेरों से बाहर वनों-पर्वतों में रहते हों। इसके विपरीत बहुत से गिलहरियों, कबूतरों और चमगादड़ों जैसे जंगली जीव वनों से बाहर शहरों में भी बसते हैं।

मनुष्यों ने बहुत से जंगली जीवों को विश्व-भर में अपने प्रयोग के लिए पालतू बनाया है, जिसका वातावरण पर गहरा प्रभाव पड़ा है। बहुत सी संस्कृतियों में पालतू और जंगली जीवों में गहरा अंतर समझा जाता है। अक्सर जंगली जीवों की साधारण और क़ानूनी परिभाषा में केवल जानवरों, पक्षियों और मछलियों को ही मान्यता दी जाती है और वनस्पति, कीट और कीटाणु जगत के सदस्यों को इसमें सम्मिलित नहीं किया जाता। श्री कुरैशी जी ने अंत में बच्चों को राष्ट्रीय प्रतिकों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि राष्ट्रीय प्रतीक एक राष्ट्र की पहचान, गौरव और एकता के प्रतीक के रूप में कार्य करते हैं। ये प्रतीक झंडे, राष्ट्रगान, स्थलश्रृंग और पशु-पक्षी के रूप में हो सकते हैं।

ये प्रतीक नागरिक अपने राष्ट्र के इतिहास, संस्कृति और महत्वपूर्ण दिनों की याद दिलाते हुए देश की भावना को जन्म देते हैं और अपने राष्ट्र की विरासत के प्रत्यक्ष प्रतिनिधित्व के रूप में कार्य करते हैं, एक सामान्य पहचान के तहत अपने लोगों को एकजुट करने का कार्य करते हैं। सबसे अधिक पहचाने जाने वाले राष्ट्रीय प्रतीकों में से एक ध्वज है, जो अपने देश की संप्रभुता को महत्व देते हैं और उनके नागरिकों के लिए गौरव का स्रोत हैं। कार्यक्रम में पूर्व ग्राम प्रधान दलपतपुर रामजी यादव, राजू यादव, विजय यादव, राम प्रकाश वर्मा एवं मशहूर आर्टिस्ट अश्विन सहित कृति सोशल वेलफेयर फाउंडेशन के सदस्य शामिल रहे।
