ब्यूरो रिपोर्ट : अमर नाथ साहू
रिपोर्ट : अजय कुमार लखमानी
वाराणसी: धर्मनगरी काशी में 30 नवंबर और 1 दिसंबर को इतिहास रचने वाला एक अनूठा आयोजन होगा, जहां 51 शक्तिपीठों और द्वादश ज्योर्तिलिंगों का संगम देखने को मिलेगा। इस दो दिवसीय कार्यक्रम का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक करेंगे, जबकि समापन समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शामिल होने की संभावना है। यह आयोजन सेंटर फॉर सनातन रिसर्च और ट्राइडेंट सेवा समिति ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में पहली बार काशी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में हो रहा है।
विदेशों से भी आएंगे संत और पीठाधीश्वर…
इस कार्यक्रम में भारत के सभी शक्तिपीठ और ज्योर्तिलिंगों के साथ-साथ पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल और तिब्बत जैसे देशों से संत और पीठाधीश्वर शामिल होंगे। आयोजकों के अनुसार, भारत के 42 शक्तिपीठों के अलावा बांग्लादेश के 4, नेपाल के 2, और पाकिस्तान, तिब्बत व श्रीलंका के एक-एक शक्तिपीठ को शामिल करने की योजना है।
कार्यक्रम का उद्देश्य मंदिर प्रबंधन, व्यवस्था, और सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ विदेशों में हो रहे सनातन संस्कृति पर हमलों पर विचार करना है।
400 से अधिक पीठाधीश्वरों की उपस्थिति…
कार्यक्रम में विश्वभर से 400 से अधिक पीठाधीश्वर हिस्सा लेंगे। आयोजन से पहले 29 नवंबर को महिलाएं शंखनाद के साथ भव्य कलश यात्रा निकालेंगी, जो काशी की गलियों और घाटों पर सनातन संस्कृति की अद्भुत झलक प्रस्तुत करेगी।
आयोजन के अध्यक्ष रामन त्रिपाठी ने बताया कि इस महासमागम में संतो और पीठाधीश्वरों के साथ देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु शामिल होंगे।
सनातन संस्कृति की रक्षा पर चर्चा…
कार्यक्रम के दौरान मंदिरों की प्रबंधन व्यवस्था को बेहतर बनाने के साथ-साथ सनातन संस्कृति की सुरक्षा और विदेशों में इसके खिलाफ हो रहे हमलों पर भी गहन चर्चा की जाएगी। यह आयोजन सनातन संस्कृति के संरक्षण और वैश्विक स्तर पर इसके प्रचार-प्रसार के लिए एक नई दिशा तय करेगा। काशी में होने वाला यह महासमागम न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि वैश्विक सनातन एकता का संदेश भी देगा।।।