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महामना के आदर्शों को हमें अपने जीवन में अपनाना चाहिए : सतीश त्रिपाठी

ब्यूरो रिपोर्ट : रवि प्रताप आर्य

वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रणेता और संस्‍थापक महामना पं. मदन मोहन मालवीय की पुण्यतिथि पर अखिल भारतीय विद्यर्थी परिषद् के कार्यकर्त्ताओं व पदाधिकारियों ने उन्हें नमन कर उनके योगदान को याद किया। वहीं विद्यार्थी परिषद के लोगों ने विश्वनाथ मंदिर परिसर में स्थित पंडित जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण व श्रद्धा – सुमन समर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की। वहीं अपने साथियों को सम्बोधित करते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, प्रांत संयोजक कला मंच काशी प्रांत सतीश त्रिपाठी ने कहा कि पं. महामना मदन मोहन मालवीय का जन्‍म 25 दिसम्बर 1861 को हुआ था वहीं 12 नवंबर 1946 को देहावसान हुआ था। काशी हिंदू विश्‍वविद्यालय के वह प्रणेता तो थे ही सा‍थ ही देश में शिक्षा के लिए सर्वविद्या की राजधानी काशी में ज्ञान का दीपक जलाने के लिए भी लोग उनको याद करते हैं।

भारत के पहले और अन्तिम व्यक्ति के तौर पर भी लोग उन्‍हें याद करते हैं जिनको महामना की सम्मानजनक उपाधि दी गई। श्री त्रिपाठी ने कहा कि महामना के आदर्शों को हमें अपने जीवन में अपनाना चाहिए। महामना नूतन सोच एवं श्रद्धा के जीवंत पर्याय हैं।इस अवसर पर विशेष रूप से प्रांत संगठन मंत्री अभिलाष जी, इकाई अध्यक्ष प्रशांत जी. भास्कर जी, सत्यम जी, पल्लव जी के साथ मालवीय जी के अनेक मानस पुत्र उपस्थित रहे।

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