ब्यूरो चीफ : अमर नाथ साहू
रिपोर्ट : अजय कुमार लखमानी

काशी। मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी 2025 को मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में ये दिन विशेष महत्व रखता है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, जो शुभ माना जाता है। मकर संक्रांति में स्नान-दान का महत्व है। कहते हैं इस दिन सुबह स्नान के बाद दान किया जाता है। तिल, गुड़ और वस्त्र दान करने की परंपरा होती है। इस दिन खिचड़ी खाने का रिवाज है, इस कारण इसे खिचड़ी पर्व भी कहते हैं।
जानिए खिचड़ी का शुभ मुहूर्त
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय ने बताया कि इस वर्ष सूर्य 14 जनवरी को दोपहर बाद 2:44 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसलिए स्नान-दान का संक्रांतिजन्य पुण्यकाल यानी शुभ मुहूर्त 2:44 बजे से आरंभ होकर सूर्यास्तपर्यंत रहेगा। उन्होंने बताया कि अन्य सूर्य संक्रांतियों में पुण्यकाल संक्रांति के पूर्व और पश्चात 16 से 20 घटी यानी संक्रांति से आठ घंटे पूर्व से आठ घंटे बाद तक रहने की मान्यता है लेकिन मकर संक्रांति में संक्रांति काल के पश्चात ही पुण्यकाल की महत्ता है। अतएव संक्रांति लगने के बाद स्नान-दान करना श्रेयस्कर माना जाता है।

प्रो. पांडेय ने बताया कि सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही खरमास की समाप्ति हो जाएगी और विवाहादि शुभ व मांगलिक कार्यों के लग्न आरंभ हो जाएंगे। ये मांगलिक लग्न पूरे दो माह यानी 14 मार्च तक लगातार रहेंगे। इसके पश्चात पुनः खरमास आरंभ हो जाएगा जो एक माह पश्चात 14 अप्रैल को सतुआ संक्रांति के साथ संपन्न होगा और पुनः मांगलिक कार्यों के आरंभ होने का पुण्य मार्ग प्रशस्त करेगा।

भारतीय संस्कृति प्रकाश की उपासिका है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के बाद मौसम में भी क्रांति होती है। पृथ्वी पर प्रकाश की अवधि बढ़ जाती है यानी दिन बड़े होने लगते हैं। शरद ऋतु अवसान की ओर बढ़ चलती है तो बसंत के आगमन का मार्ग प्रशस्त होता है। माघ मास आते ही ठंड कम हो जाती है। किसानों को भी अपनी खेती के कार्य करने के लिए मौसम अनुकूल मिलने लगता है। इसलिए इसे पर्व के रूप में उल्लास के साथ पूरे देश में मनाया जाता है। अलग-अलग राज्यों व क्षेत्रों में यह पर्व अलग-अलग नामों से मनाया जाता है।