ब्यूरो चीफ : अमर नाथ साहू
रिपोर्ट : सत्यम् गुप्ता

वाराणसी: मैदागिन क्षेत्र में स्थित प्राचीन गोरखनाथ मंदिर, जिसे गोरखनाथ टीला के नाम से भी जाना जाता है, इस समय महाकुंभ 2025 की भव्य तैयारियों में व्यस्त है। यह सैकड़ों वर्ष पुराना मंदिर गोरखनाथ पीठ की महत्ता और धार्मिक परंपराओं का प्रतीक है।
महाकुंभ की भव्यता और दिव्यता की तैयारी…
काशी के निवासी अम्बरीश सिंह भोला ने बताया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरखनाथ पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में इस बार महाकुंभ का आयोजन अभूतपूर्व रूप से भव्य और दिव्य होने जा रहा है। प्रयागराज में महाकुंभ के साथ-साथ, लाखों श्रद्धालु काशी विश्वनाथ धाम और गोरखनाथ मंदिर के दर्शन करने भी आएंगे। इसे ध्यान में रखते हुए मैदागिन स्थित मठ में विशेष तैयारियां चल रही हैं।
मंदिर की सफाई और मरम्मत कार्य…
मठ परिसर में रंग-रोगन, मरम्मत और सफाई का कार्य पूरी गति से चल रहा है। मंदिर प्रबंधन के अनुसार, लगभग 50-60 लोग इस कार्य में दिन-रात जुटे हुए हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं और संतों के लिए भोजन, जलपान, और ठहरने की व्यवस्था की जा रही है।
धार्मिक आयोजन और परंपराएं…
मंदिर में प्रतिदिन पूजा-अर्चना और अन्य धार्मिक गतिविधियां तो होती ही हैं, लेकिन महाकुंभ के अवसर पर संस्कृत विद्यालय के विद्यार्थी भी विशेष पूजा और पाठ कराएंगे। गोरखनाथ मंदिर के साथ परिसर में स्थित त्रिसुंदरी मंदिर और सिद्ध बालाजी मंदिर की भी महत्ता बढ़ जाती है।
मंदिर की ऐतिहासिक विशेषताएं…
गोरखनाथ मंदिर की खासियत यह है कि इसका निर्माण प्राचीन परंपराओं के अनुसार हुआ है। मंदिर परिसर में शिवलिंग की उपस्थिति इसे और पवित्र बनाती है, जैसा कि काशी खंड में इसका उल्लेख मिलता है। महाकुंभ के इस विशेष अवसर पर गोरखनाथ मंदिर, श्रद्धालुओं के स्वागत और धार्मिक आयोजन के लिए पूरी तरह तैयार हो रहा है, जो वाराणसी की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को और समृद्ध करेगा।।।