HomeUncategorizedकाशी विश्वनाथ कॉरिडोर के तीन वर्ष: सनातनी आस्था का प्रतीक है काशीपुराधिपति...

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के तीन वर्ष: सनातनी आस्था का प्रतीक है काशीपुराधिपति का धाम, 2021 से अब तक पर्यटन के साथ विकास को बढ़ावा, करोड़ों श्रद्धालु बनें साक्षी

ब्यूरो चीफ : अमर नाथ साहू
रिपोर्ट : सत्यम् गुप्ता

वाराणसी: काशी विश्वनाथ मंदिर हिंदू धर्म में एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जिसे भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। वर्ष 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा उद्घाटित काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना ने इस ऐतिहासिक धरोहर को एक नया जीवन दिया। यह परियोजना न केवल मंदिर परिसर का जीर्णोद्धार है बल्कि यह देशभर के सनातनियों की आस्था का प्रतीक बन गया है।
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का महत्व।

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना का उद्देश्य मंदिर को गंगा नदी से सीधा जोड़ना और एक सुव्यवस्थित और भव्य तीर्थ स्थान का निर्माण करना था। परियोजना का मुख्य उद्देश्य श्रद्धालुओं के लिए मंदिर तक पहुँच को आसान बनाना और इसे एक आधुनिक और सुलभ धार्मिक स्थल के रूप में स्थापित करना था।

संकरी गलियां हुईं चौड़ी, मंदिर परिसर का हुआ विस्तार…

2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस परियोजना की आधारशिला रखी गई। जिसके तहत दो वर्षों में यह कॉरिडोर बनकर तैयार हुआ और इसे एक नया स्वरुप दिया गया। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया। इस परियोजना के तहत मंदिर के आसपास की संकरी गलियों और जर्जर भवनों को हटाकर एक भव्य परिसर का निर्माण किया गया। गंगा नदी और मंदिर के बीच एक सुगम मार्ग का निर्माण किया गया।श्रद्धालुओं के लिए रैंप, एस्केलेटर, वॉशरूम, कैफेटेरिया और अन्य सुविधाओं का निर्माण करते हुए क्षेत्र में हरियाली और स्वच्छता लायी गई।

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना के लिए पहले चरण में 300 से अधिक भवनों का अधिग्रहण किया गया। इन भवनों में कई पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व के मंदिर और संरचनाएँ भी छिपी हुई थीं। पुरनिए बताते हैं कि औरंगजेब के आक्रमण के दौरान लोगों ने शिवलिंग को अपने घरों में छिपा दिए। कॉरिडोर निर्माण के दौरान जब उन मकानों का अधिग्रहण किया गया, तब प्राचीन शिवलिंग व अन्य मूर्तियां खुदाई के दौरान सामने आईं। उन प्रतिमाओं को नवनिर्मित मंदिर परिसर में उचित स्थान दिया गया।

प्रमुख चरण…

  1. भूमि अधिग्रहण:
    300 से अधिक भवनों का अधिग्रहण किया गया। इस प्रक्रिया में कई प्राचीन मंदिर और धरोहर उजागर हुए।
  2. संरचनात्मक डिज़ाइन:
    देश-विदेश के वास्तुकारों और इंजीनियरों की मदद से मंदिर और कॉरिडोर का नया डिज़ाइन तैयार किया गया।
  3. संपूर्ण सौंदर्यीकरण:
    गंगा घाट से मंदिर तक की संकरी गलियों को चौड़ा किया गया।
  4. मंदिरों का पुनरुद्धार:
    अधिग्रहित क्षेत्र में मिले प्राचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार किया गया और उन्हें पुनः स्थापित किया गया।

5 लाख वर्ग फीट में हुआ निर्माण…

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का कुल क्षेत्रफल लगभग 5 लाख वर्ग फुट है। इस परियोजना के तहत मंदिर के चारों ओर भव्य संरचनाओं का निर्माण किया गया है।

मुख्य विशेषताएँ…

  1. विशाल प्रवेश द्वार:
    मुख्य प्रवेश द्वार को भव्य और पारंपरिक शैली में बनाया गया है, जो काशी की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है।
  2. मंदिर चौक:
    यह एक बड़ा ओपन स्पेस है, जहाँ श्रद्धालु आराम कर सकते हैं। इसे परिसर में भीड़ के दृष्टिकोण से बनाया गया है। मंदिर परिसर में महाशिवरात्रि, सावन सोमवार अथवा अन्य त्योहारों पर भीड़ उमड़ी तो इन जगहों पर भीड़ नियंत्रण की अच्छी व्यवस्थाएं हैं।
  3. गंगा व्यू पॉइंट:
    गंगा नदी का नज़ारा लेने के लिए विशेष व्यू पॉइंट बनाए गए हैं।
  4. धर्मशाला और सुविधाएँ:
    मंदिर परिसर में ही तीर्थयात्रियों के लिए धर्मशालाएँ, कैफेटेरिया, पुस्तकालय और अन्य सुविधाएँ उपलब्ध कराई गई हैं।
  5. पर्यावरण के प्रति जागरूकता:
    कॉरिडोर में हरियाली और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा गया है।

धार्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव…

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर ने वाराणसी की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता को नए स्तर पर पहुँचाया है। यह परियोजना न केवल स्थानीय निवासियों बल्कि देश-विदेश के श्रद्धालुओं के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन गई है।

प्रमुख प्रभाव…

  1. तीर्थयात्रा में वृद्धि:
    नई सुविधाओं और सुगम मार्गों के कारण यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। यहां तीन साल में करोड़ों श्रद्धालुओं ने हाजिरी लगाई है।
  2. स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा:
    वाराणसी में पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा मिला है। स्थानीय दुकानदारों से लेकर होटल, लॉज, माला-फूल आदि के जरिए पर्यटन और अर्थव्यवस्था को काफी बढ़ावा मिला है।
  3. संस्कृति का संरक्षण:
    प्राचीन मंदिरों और धरोहरों के पुनरुद्धार ने बनारस की ऐतिहासिकता को संरक्षित किया है।

परियोजना में चुनौतियाँ…

हालांकि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा किया गया, लेकिन इस दौरान कई चुनौतियाँ भी सामने आईं।

  1. भूमि अधिग्रहण में बाधाएँ:
    कई स्थानीय निवासियों ने भूमि अधिग्रहण का विरोध किया। हालांकि प्रशासनिक सूझ-बूझ से इस विरोध को शांत कर दिया गया।
  2. धरोहरों का संरक्षण:
    पुराने भवनों और मंदिरों को हटाते समय उनकी ऐतिहासिकता को बनाए रखना एक कठिन कार्य था।
  3. तकनीकी जटिलताएँ:
    गंगा नदी के पास निर्माण कार्य करना इंजीनियरिंग के दृष्टिकोण से चुनौतीपूर्ण था। लेकिन सभी ने अपनी सूझबूझ और कर्मठता से इस कार्य को पूरा किया।

अर्थव्यवस्था को बढ़ावा…

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर ने वाराणसी की स्थानीय अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला है। पर्यटन के बढ़ने से स्थानीय व्यापारियों, होटल मालिकों और गाइड्स को लाभ हुआ है।

  1. पर्यटन का विकास:
    वाराणसी अब एक विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल बन गया है।
  2. स्थानीय रोजगार:
    परियोजना के दौरान और बाद में हजारों लोगों को रोजगार के अवसर मिले।
  3. राजस्व में वृद्धि:
    तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ने से राज्य सरकार के राजस्व में वृद्धि हुई।

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर पुनर्निर्माण न केवल एक धार्मिक स्थल का जीर्णोद्धार है बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करने का एक अभूतपूर्व प्रयास है। इस परियोजना ने वाराणसी को एक नई पहचान दी है और इसे वैश्विक मानचित्र पर एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित किया है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर एक ऐसा उदाहरण है, जो यह दर्शाता है कि कैसे प्राचीनता और आधुनिकता का संगम एक राष्ट्र की आत्मा को पुनर्जीवित कर सकता है।।।

RELATED ARTICLES

Most Popular