ब्यूरो रिपोर्ट : अंजनी कुमार तिवारी
बलिया। जय प्रकाश नारायण सर्वोदय विद्यालय रसड़ा बस्तौरा में आयोजित हुए कार्यक्रम की शुरुआत प्रार्थना सभा में भारतीय संविधान की प्रस्तावना के सामूहिक पाठ से हुई। इस अवसर पर प्रधानाचार्य डॉ. कालिका मौर्य ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतवर्ष का संविधान पूरी दुनिया में लोकप्रिय व सर्वश्रेष्ठ है। 26 नवंबर 1949 के दिन देश की संविधान सभा ने संविधान को अपनाया था। यही वह दिन है जब संविधान बनकर तैयार हुआ था। संविधान दिन का मकसद देश के नागरिकों में संवैधानिक मूल्यों के प्रति सम्मान की भावना को बढ़ाना है। यह संविधान ही है जो अलग-अलग धर्मों व जातियों की भारत की 140 करोड़ की आबादी को एक देश की तरह जोड़ता है। इसी संविधान के तहत हमारे देश के सभी कानून बनते हैं। इस संविधान के तहत सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट समेत देश की सभी अदालतें, संसद, राज्यों के विधानमंडल, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री समेत सभी इसी के तहत काम करते हैं और इसी के तहत हम सभी को अधिकार भी मिलते हैं कि हम सब पूरी स्वतंत्रता व समानता के साथ जीवन जी सके। हर भारतीय नागरिक के लिए 26 नवंबर संविधान दिवस बेहद गर्व का दिन है। कोई भी देश बिना संविधान का नहीं चल सकता है ।
कार्यक्रम में विद्यालय के शिक्षकों ने संविधान के ऐतिहासिक महत्व और इसकी भूमिका पर प्रकाश डाला। विद्यालय में निबंध, भाषण, चित्रकला और पोस्टर प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं, जिनके विषय संविधान में वर्णित अधिकारों और कर्तव्यों, तथा डॉ. आंबेडकर के योगदान पर केंद्रित थे। प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के माध्यम से छात्रों ने संविधान और भारत के लोकतांत्रिक स्वरूप के बारे में अपनी समझ को और गहराई दी। इसके साथ ही, नाटक और मूक नाटिकाओं के जरिए छात्रों ने संविधान के मूल्यों और डॉ. आंबेडकर के संघर्ष को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया। “रन फॉर इक्वलिटी” दौड़ ने समानता, स्वतंत्रता और भाईचारे का संदेश दिया। संविधान सभा की कार्यवाही पर आधारित डॉक्यूमेंट्री और डॉ. आंबेडकर पर पुस्तकों की प्रदर्शनी ने छात्रों को भारतीय लोकतंत्र की जड़ों से जोड़ा। कक्षाओं में मूल अधिकार और कर्तव्यों पर चर्चा सत्रों ने संवाद और विचार-विमर्श को प्रोत्साहित किया, जबकि विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यानों ने छात्रों को संविधान के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझने में मदद की। कार्यक्रम का समापन संविधान की शपथ ग्रहण समारोह और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ हुआ। इन कार्यक्रमों ने न केवल संविधान की महिमा को रेखांकित किया बल्कि छात्रों के भीतर जागरूकता और राष्ट्रीय एकता का भाव भी उत्पन्न किया।