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काल भैरवाष्टमी पर सवा लाख बत्तियों से होगी महाआरतीः काशी में निकलेगी अष्ट भैरव प्रदक्षिणा यात्रा

ब्यूरो रिपोर्ट : अमर नाथ साहू
रिपोर्ट : अजय कुमार लखमानी

वाराणसी । वाराणसी में 23 नवंबर को बाबा कालभैरव बालरूप में भक्तों को दर्शन देंगे। श्रद्धालुओं द्वारा काशी के पुराधीपति बाबा भैरवनाथ के आठ स्वरूपों का दर्शन पूजन किया जायेगा। बाबा कालभैरव के जन्मोत्सव पर काल भैरव मंदिर में 101 लीटर दूध से अभिषेक होगा। सवा लाख वाती से बाबा की आरती होगी। 1001 क्विंटल का केक काटा जाएगा। मंदिर के गर्भगृह से लेकर आसपास के सड़कों पर आकर्षक सजावट होगी। दर्शन-पूजन के लिए भक्तों का रेला उमड़ेगा। अष्ट भैरव मंदिरों में भी श्रृंगार व पूजन अर्चन होगा।

सवा लाख बत्तियों से बाबा काल भैरव की होगी आरती

बाबा कालभैरव के जन्मोत्सव पर कालभैरव मंदिर में भोर से ही दर्शन-पूजन शुरू हो जाएगा, जो रात एक बजे तक चलेगा। मंदिर के महंत मोहितनाथ योगेश्वर महाराज ने बताया कि भोर में बाबा का श्रृंगार होगा। 101 लीटर दूध से स्नान, दही व सिंदूर लेपन होगा। वस्त्र धारण करवाकर फूलों का हार पहनाया जाएगा। बाबा को मदिरा, चीनी का घोड़ा, नीलकंठ के फूल, फल आदि नैवेद्य अर्पित किए जाएंगे। मंगला आरती के बाद मंदिर के पट दर्शन-पूजन के लिए खोल दिए जाएंगे। रात में भी बाबा का श्रृंगार होगा। सवा लाख बत्तियों से बाबा आरती होगी।

बाबा लाट भैरव का भव्य अन्नकूट श्रृंगार

काशी में निकलेगी अष्ट भैरव प्रदक्षिणा यात्रा अनादिकालेश्वर बाबा श्री लाट भैरव का भव्य अन्नकूट श्रृंगार किया जाएगा। प्रातः दशविद स्नान कराया जायेगा श्री कपाल भैरव अथवा लाट भैरव प्रबंधक समिति की ओर से तैयारियां प्रारम्भ कर दी गईं हैं। प्रबंध समिति के मंत्री मुन्ना लाल यादव ने बताया कि बाबा दरबार में भक्तों को अष्ट भैरव की मनोरम झांकी के दर्शन होंगे। मंदिर के फर्श पर संगीतमय सुंदरकांड पाठ का आयोजन होगा। संस्कृतिक आयोजन के क्रम में नगर वधुएं अपनी हाजिरी लगाएंगी। उन्होंने बताया कि श्रीलाट भैरव काशी यात्रा मंडल की ओर से अष्ट भैरव प्रदक्षिणा यात्रा की जाएगी जो प्रातः 8 बजे लाट भैरव मंदिर से प्रारम्भ यात्रा के दौरान अष्ट प्रधान भैरव सहित निकटवर्ती अन्य भैरव मंदिरो में दर्शन पूजन किया जाएगा।

जानते हैं अष्टमी तिथि कब से कब तक रहेगा

काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि मार्गशीर्ष माह के मध्यान व्यापिनी अष्टमी को काल भैरव की उत्पत्ति हुई थी। हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के अष्टमी तिथि की शुरुआत 22 नवंबर को रात 9 बजकर 20 मिनट से शुरू हो रहा है। जो 23 नवंबर को रात 10 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार मध्यान व्यापिनी अष्टमी तिथि 23 नवंबर को होगी।

लिहाजा 23 नवंबर को ही भैरव अष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन भगवान भैरव की कृपा पाने के लिए पूरे विधि विधान से उनकी पूजा अर्चना करनी चाहिए। पूजा के दौरान उन्हें नीले फूल अर्पित करना चाहिए। इसके अलावा संतान सम्बंधित कष्ट भी दूर होते हैं. इस दिन काल भैरव की पूजा के दौरान ‘ॐ काल भैरवाय नमः’ मंत्र का 108 बार जप भी जरूर करना चाहिए।

काशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ के शहर की रक्षा का दायित्व संभालने वाले आठो भैरवों का मंदिर

विश्वेश्वरगंज स्थित बाबा कालभैरव, नीचीबाग स्थित बाबा आस भैरव, कमच्छा स्थित बाबा बटुक भैरव, कमच्छा स्थित बाबा आदि भैरव, नखास स्थित बाबा भूत भैरव, कज्जाकपुरा स्थित बाबा लाट भैरव, मीरघाट स्थित बाबा संहार भैरव और मालवीय मार्केट स्थित बाबा क्षत्रपाल भैरव दंडपाणि।

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